आज मैने अपने आस पास की
धुल को हटा
फिर से अपनी साफ
तस्बीरो को लगा दिया है
जो धुल ने चरो तरफ की सफेदी को छुपा दिया था !
आज फिर से वो देखो सजसवर रही है
मेरे आगन के जो
दीप कब के बुझ गये थे,
शायद कभी न जलने के लिया,
आज फिर से मैने उसमे रौशनी भर दी
और देखो वो जल उठे
एक बार फिरसे जगमगाने को
आसुओ की लताओं में कही
मै खुद को भूल गई थी
आज रोशनी ने
मुझे फिरसे
मेरा खोया चेहरा दिखा दिया
आज जब देखती हूँ
तो खुद से पूछती हूँ
कहा थी अब तक मै
क्यों खोजती रही
खुद को मै गली - गली
अपनी ही तस्बीर लिया
क्यों पहले आईना नहीं देखा
दुसरो की आँखों में खो
खुद को तलाशती रही
आज देखा खुद को तो
मै खुद से शरमा गई
खुदा की मै सच्ची इबादत हूँ
फिर क्यों यु हार गई
उसने है मुझे संवारा ,
उसने है मुझे सहेजा
आँखों के नीचे गहरी उदासी
रेगिस्तानी रेतो पर चले
मेरे पावो के छाले
सुख रहे है
डूबता मन का अँधेरा भाग रहा है कही
आज कितने जन्मो के बाद
मेरे दमन में फिर से सागर सिमट के आगये
मेरी आंखे देखरही मुझकों असमान में उड़ता
उम्मीद फिर से जीने की
मेरी आँखों में फिर से jag gai है..
आज मन फिर से परियो की गोद में simti
आप दुनिया में वापस आरही हूँ
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