तुम्हें पता है मेंरे हाथो में सजी
वो तुम्हारी दी हुई चूडिया
आज ऐसे खनकने लगी
जैसे रात शबनम में लिक्खी हुई
शोख़ियों से हिलता पत्ता
हवाओं ने सुर दे दिया हो
जोड़ देती है हमें तुमसे
हर पल हर घड़ी
इनकी खनखनाहट
तुम्हें पता है
इन चूडिया में
तुम्हारी प्रीत की "खन-खन"
बार बार संगीत बन
तुम्हारे निस्ब्दो भरे स्वरों को सुना देती हैं
जब भी हवाए छुती है इन्हें
मुझे तुम्हारे होने का अहसास कर देती है
आज देखो हजारो दामनिया
मेरी गोरी कलाई पर सज के
मुस्कुरा रही है
बाहों में आयेगी
मेरे बहरो की हंसी
यह तो कभी सोच ही ना था
खुली आँखों से जो सपनो को मैने कभी
हार पर टूटते सपनो में खुद को बिखरते देखा था
नहीं सोचा था
कोई इतना सवारे गा
पर आज साची डोर हरदम खिचती है हमें प्रीत की ओर
मीरा सी मै पगली खिची जारही नाजाने किस ओर
वो तुम्हारी दी हुई चूडिया
आज ऐसे खनकने लगी
जैसे रात शबनम में लिक्खी हुई
शोख़ियों से हिलता पत्ता
हवाओं ने सुर दे दिया हो
जोड़ देती है हमें तुमसे
हर पल हर घड़ी
इनकी खनखनाहट
तुम्हें पता है
इन चूडिया में
तुम्हारी प्रीत की "खन-खन"
बार बार संगीत बन
तुम्हारे निस्ब्दो भरे स्वरों को सुना देती हैं
जब भी हवाए छुती है इन्हें
मुझे तुम्हारे होने का अहसास कर देती है
आज देखो हजारो दामनिया
मेरी गोरी कलाई पर सज के
मुस्कुरा रही है
बाहों में आयेगी
मेरे बहरो की हंसी
यह तो कभी सोच ही ना था
खुली आँखों से जो सपनो को मैने कभी
हार पर टूटते सपनो में खुद को बिखरते देखा था
नहीं सोचा था
कोई इतना सवारे गा
पर आज साची डोर हरदम खिचती है हमें प्रीत की ओर
मीरा सी मै पगली खिची जारही नाजाने किस ओर
3 comments:
bahut hi accha likha hai aapne.
Bahut hi sundar lkha he. I like this.
janab kabita jitne achchhi hai ager hindi bhi hoti to lajabab hota. ......but sochte achchhaho.
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