Saturday, August 6, 2011

ये पगली लड़की .......


This  poem is devotion of my friend 

ये पगली लड़की .........
बड़ी अदभुत ,

अलग औरो से ..

कुछ बुद्धिमान ..

पर बेवकूफ गजब की .

ये पगली लड़की ..

उठती रोज सुबह तब जब दुनिया सोती रहती ,
निकलती घर से तब जब सूरज भी सोता रहता ..
आसमान पर होता ना अँधेरा,
 ना ही रोशनी सूरज की ..
ना रात सा लगता ना दिखती लाली सूरज की ..

ये पगली लड़की .........

असीम संभावना लिए जीवन की 
लगती अपने श्रृजन में 
,कुछ धन कमाने की कोसिस 
ताकि सहारा बन सके तमाम बे सहारा बच्चो का ..
कुछ समाज की कुरितियो पर कुडती,.गुस्सती 
लिखती नारी स्वतंत्रता पर ,
मुक्ति पर और लग जाती एक अच्छा समाज बनाने के सपने को साकार करने में ..

ये पगली लड़की .........
जीवन को सरल समझती ,
खुद सा व्यवहार ,
अपना पन,अपनत्व समाज पर उड़ेलती ,
पर निरास हो जाती देख कर समाज की महिलाओ के प्रति नजरिया ,
उलाहना ..
और दकियानुसी सोच ....

ये पगली लड़की .........

पर मैंने देखा आज वो बहुत खुस लग रही थी .
.सायद अब वो जीतना शीख गयी है
 जीना शीख गयी है !
 समाज से लड़ना भी शीख गयी है
अब भी वो सुबह जल्दी घर से निकलती है
 और लौटती है देर रात पर जीत के भाव के साथ ...
अब प्यरी लगने लगी है ...

.ये पगली लड़की .........

आप ने देखा है उसे ...

अरे आज सुबह ही बगल से गुजरी
 वो आप के .........
लक्नऊ की ये पगली लड़की !

हम जिसे सोचते है 
 वो अपना चेहरा दुपट्टे में ढक कर अपनी पहचान छुपा रही है ...
हकीकत में वो समाज को अपने होने का अहसास अपने कामो से करा रही है ..

ये पगली लड़की .......

1 comment:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
शुभकामनाएं