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सीतापुर जिले के खदनिया गाव थाना तालगांव की नवविवाहिता प्रीति का क़त्ल उसके ससुराल वालो ने ६-जून -२०१२ की रात कर दिया
सीतापुर जिले के खदनिया गाव थाना तालगांव की नवविवाहिता प्रीति का क़त्ल उसके ससुराल वालो ने ६-जून -२०१२ की रात कर दिया
प्रीति का विवाह सीतापुर जिले के खदनिया गाँव के संदीप कुमार दीक्षित पुत्र अवधेस कुमार दीक्षित से लगभग एक साल पहले हुआ था ! शादी के बाद ही लड़के के परिवार वाले प्रीति को दहेज़ के लिया प्रताड़ित कर ने लगे थे! नातो प्रीति को पेट भर खाना दिया जाता और ना उसे आराम करने का समय बात बात पर उसे गालीया खानी पढती थी , वो लचर बेबस लड़की खामोश होकर सब बरदास कर रही थी क्यों क़ि वो जानती थी क़ि पिता क़ि मौत के बाद पाच बहनों जी जिम्मेदारी उसके भाई अलोक तिवारी पर थी किसी तरह उसके प्रीति का विवाह संदीप से किए था !
शादी के बाद उसे माइके जादा नहीं भेजा जाता और जब प्रीति अपने माइके जाती को बस गुमसुम सी दिखती ना उसके चहरे पर खुश और ना ससुराल जाने क़ि कोई ललक ! उसका पति उसे लेने आता तो उसके चहरे पर डर दिखता ! माँ कारण पूछती तो वो केवल एक जवाब देती बताने से क्या फयदा जीवन तो वही काटना है इतना कह कर चली जाती !
प्रीति के चाचा बताते है क़ि हादसे से पहले प्रीति ने उन्हें और अपने किस रिश्ते डर कर फ़ोन किया था, फ़ोन पर वो कुछ घबराई सी थी उसने कहा क़ि वो छत है और आगे कुछ कह पति उन्होंने आवाज सुनी मानों पीछे से किसी ने प्रीति पर जोर का वर किया वो उस आवाज को जबतक समझते प्रीति फोन कट गया, दुबारा फ़ोन मिलाने पर स्विच ऑफ बताने लगा ! चाचा जी ने सोचा इस विषये पर सुबह अलोक (प्रीति के भाई) से बात करेगे!
इधर प्रीति पर तो मानों गाज ही गिर गई उसके पति व ससुराल वालो ने उसे बुरी तरह पीटना सुरु कर दिया, बेचारी अकेली महिला अपनी जान बचने के लिया गुहार लगती रही किसी नी भी उस मासूम की नहीं सुनी और वो जल्लाद उस प्रीति को मरते रहे तबतक जब तक वो मर नहीं गई !
रात में जब उन्हों ने देखा क़ि प्रीति मर गई तो गाव क़ि ठेलिया पर लेटा कर कही फेकने जा रहे थे क़ि ताकी वो कह सही क़ि प्रीति रात में सारा सामान के कर भाग गई !
पर अपनी मनसा में वो कामियाब नहीं होसके ! जैसे ही वो आगे बड़े गाव की कुछ महिलओ ने देख लिया और उसका हल जानने के लिया आगये तब देखा क़ि मुर्चित अवस्था में प्रीति पड़ी थी जिसे चादर से ढका दिया गया था ! तभी एक महिला ने आगे बाद कर प्रीति ला हाथ पकड़ा तो वो सन रहगी और बोली क़ि यह तो मर चुकी है
तब लाश को सब उठा कर घर में लेगये और मिटटी का तेला डाल कर जलने का प्रयाश किया जिस्सी प्रीति के कपडे जल गये और शरीर झुलश गया था! प्रीति के पति का प्रयाश तह की उसकी लाश का अंतिम संस्कार कर दिया जाए परं उसी बीच किसी ने प्रीति के भाई को उसके मरने क़ि खबर देदी ! वो लोग अनन-फानन अपने परिवार और गाव के लोगो केसाथ समय पर पहुच गया !
प्रीति क़ि हालत देख कर वो सन रहगया प्रीति क़ि जबान मुंह से बहार लटक रही ती मानों उसका गला दबा दिया गया हो उसके हाथ लटक तहे थे क्योंक़ि उसके हाथ और पैर की हड़िया टूट गई थी उसके तन पर एक भी कपडे नहीं थी तब प्रीति भाभी ने उसका शारीर चादर से धका ......उफ़ क्या दर्दना मंजर था भाई खुद को शभाल नहीं पा रहा था , उसके सामने उसकी छोटी बहन की इतनी दर्दना मौत होगी .. जिस के हवाले उसने अपनी बहन को किया था आज वो पूरा का पूरा परिवार उसकी मासूम बहन का ही हत्यारा हो गएगा !
अपनी बहन को लाश को देखा बार बार आलोक यही कह रहा था अगर उसे नहीं रखना था तो मेरा पास छोड़ देते मै उसे जीवन भर अपने पास रख लेता ,पर मेरी बेगुनाह बहन को क्यों मारा .. माँ के मुख से आवाज ही नहीं निकल रही थे आसू रुकने का नाम नहीं लेराहे थे ...
आज एक बेगुना लड़की दहेज़ रूपी दानव मानव की दरंदी का का शिकार को चुकी थी ..जिसे कोई भी बचने के लिया आगे नहीं बड़ा था ..
सारी खबर जब पुलिस को दी गई तो लाश को पोस्मार्टम के लिये भेज दिया गया! और पोस्मार्टम के बाद प्रीति का अंतिम संस्कार कर दिया गया और लड़के के परिवार से केवल प्रीति के पति संदीप और ससुर अवधेश को तब गिरफ्तार किया गया जब गाव वालो ने पुलिस पर दबाव बनाया ..
लड़के के गाव से पता चला है वर पक्ष ने पुलिस को ८० हजार रूपये दिया है ताकी हत्या तो आत्महत्या बना दिया जाये ...अभी भी २ अपराधियों को महिला पुलिस के आभाव की दुहाई देका पुलिस गिरफ्तार नहीं किया है !
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