Monday, July 12, 2010

कृष्णा -कृष्णा भई दिवानी



ना भीगी नीर तन
नैनन भीगी आज ...................
यह विरहन की प्रीत जगी
लागी मन में आग .....................
भई बावरी मंजुमन ले
मे बिरहन आज
प्रीत की रित जगी
ऐसो मन मोहन
सुध बुध भूली आज ...................
कृष्णा -कृष्णा भई दिवानी
मीरा सी मैं आज.............
ऐसी प्रीत सजी तन मोरे
जग का करिहे उपहास .....................

2 comments:

Anonymous said...

परमात्मा आपकी पवित्र भावना और प्रीत को आशीष दे! शुभकामनाओं सहित!

हर्षिता said...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति लिखते रहे मेरी शुभकामनाएं है।