Saturday, July 17, 2010

इज्जत के नाम पर इज्जत के नाम पर ऑनर किलिंग या यु कहे डिसऑनर किलिंग

इज्जत के नाम पर इज्जत के नाम पर ऑनर किलिंग या यु कहे डिसऑनर किलिंग









नारीत्व का अभिशाप आज भी झेल रही है ! परंपरा रिवाजो निभाने का बोझ केवल नारी के कंधो पर ही डाल दिया गया है ! कभी इसकी बलि जाति, गोत्र , परम्पराओं के नाम पर दी जाती है तो कभी महान बनाने का आडम्बर किया जाता है! आधुनिकता की दौड़ में जहाँ विश्व आगे बढ़ रहा है, वही आज भी हमारा देश जाति, धर्म, सम्प्रदाए के चक्रव्यूह से निकलने में असमर्थ है! सच तो यह है कि इसका स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है आज भी हमारे देश में लड़कियों को खुली हवा में सांस लेने की आज़ादी नहीं है! आज भी गाँव में जाति, गोत्र, परिवार की इज्ज़त के नाम पर होने वाली हत्याओं की बात आती है तो इसमें मरने वालों की संख्याओ में लड़कियो और औरतो की संख्या अधिक होती है !
सामंतवादी विचारधाराओं में अपनी खाप पंचायत बना ली जो अपने निहित लाभ के लिये अपना- अपना फरमान जारी करते है! इनके फरमान को कोई नहीं मानता तो उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कार या मृत्युदंड दिया जाता है!

क्या है ? ये खाप पंचायते और क्या इन्हें आधिकारिक या प्रशासनिक स्वीकृति हासिल है?
रियायती पंचायते या कहे खाप पंचायते या कहे पारंपरिक पंचायते जिन्हें न अधिकारिक मान्यता प्राप्त है न ही न्यायिकअधिकार, फिर भी ये प्रभावशाली है ! इन पंचायत में प्रभावशाली जातियों या गोत्र का दबदबा रहा है या यू कहे इनकी सामंतवादी नीतियाँ चलती हैं, और जो फरमान न माने इनका उन्हें इनका शक्तिदंड तो भोगना ही पड़ता है! चाहे कोई भी क्यों न हो ! एक गोत्र या फिर एक बिरादरी के सभी गोत्र मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं ! जिस गोत्र के जिस इलाके में ज्यादा प्रभावशाली लोग होते है उसी का खाप पंचायत में दबदबा रहता है! आज इन पंचायतों का दबदबा सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तरप्रदेश तथा राजस्थान में है जहाँ लड़कियों की जनसँख्या कम है! और वो उनपर अपना नियंत्रण खोना नहीं चहते है चाहे उनकी अपनी ओलाद घुटकर-घुटकर क्यों न मर जाये !
हाल ही में आई कई खबरें चौंका देने वाली थी! कमलेश यादव व खुशबू शर्मा की हत्या , दूसरी कुलदीप और मोनिका की हत्या , मनोज - बबली की हत्या आदि ऐसी कई मौते इस बात का हवाला देती ! रोज़ एक हत्या ऑनर किलिंग या यु कहे डिसऑनर किलिंग के तहत हो रही है! युवा पत्रकार निरुपमा की मौत से हम और हमारा समाज अछूता नहीं है ! इज्ज़त की खातिर ऑनर किलिंग या यूँ कहें डिसऑनर किलिंग का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है! अपने झूठा अभिमान को बचने की झूठी कवायत हो रही है! रोज़-रोज़ मासूमो लोगो की बलि चढ़ती जा रही है!
या यू कहा जाए यहे बीमार मस्तिष्कता की उत्पति है !
आज देश में हर घंटे अनेको अपराध हो रहे है -बलात्कार, चोरी ,लूट आतंकवादी घटनाएं और सांप्रदायिक दंगे! पर हमने यह कही नहीं सुना कि किसी पंचायत या पिता ने अपने बलात्कारी बेटे को मृत्युदंड दिया हो उसका सामाजिक निष्कासन किया गया हो ! उल्टा उसे बचाने की कवायत शुरू होती है और पुलिस प्रशासन पर आरोप लगता है कि उसके बेटे को गलत फंसाया गया, और न कभी किसी आतंकी के पिता ने या पंचायत ने उसके लिए फतवा जारी किया हो रोज़ - रोज़ न जाने कितने बेगुनाह मौत की भेंट चढ़ रहे है! उसके लिए समाज को कोई चिंता नहीं है ! आज अगर इस महान पंचायत और महान लोगो का बेटा जुआ खेले, लड़कियों को प्रताड़ित कर शराब पिए तो कोई भी सज़ा नही होती पर यदि किसी औरत या लड़की से कोई भी गुनाह हो जाये तो यह पंचायत अपने असली रूप में आकर अपने तेवर दिखाती है! आज भी किसी महिला को या लड़की को अपने जीवन के प्रति निर्णय लेने का अधिकार नही है ! आज भी लड़कियों को भेड़- बकरियों या गाय की तरह एक खूंटे में बाँध दिया जाता है जहाँ उसे अपने समाज बिरादरी की परंपरा निभानी पडती है !आज भी कोई नारी जातिय या धार्मिक परम्परा को तोड़ने की हिम्मत नही कर सकती और यदि तोड़े तो उसके लिए मौत ही एक रास्ता होता है !
आज प्रश्न उठता है कि हम कब सुधरेंगे ? क्या आज भी हम उन्ही दकियानूसी परम्पराओं का निर्वाह करते रहेंगे?आज हमारे देश को आज़ाद हुए इतने साल हो गए पर आज भी ठीक ढंग से लोकतंत्र की स्थापना नही हो पाई है! जानते है क्यों ? क्योंकि हम अभी भी अपनी अपनी जाति का बोझ ढो रहे है ! अपनी परम्पराओं को गलत ना मानकर दूसरों की परम्पराओं पर लांछन लगा रहे है! वास्तव में हमारे देश का जातिवाद का यह स्वरुप पिछले दो तीन हज़ार वर्षो से बिगड़ा है! मै सोचती हूँ कि हमारे देश की वर्तमान राजनीति ही मात्र जिम्मेवार नही है बल्कि हमारे देश के इतिहास को पढेंगे तो पाएंगे कि कुछ राज्यों में कुछ हद तक जातिवाद की भावना थी , पर वो इतनी गहरी और खराब नही थी जितनी की आज है! ऑनर किलिंग के नाम पर मासूमो का खून बहाना बंद होना चाहिए ! खाप के लोगो को समझना होगा की इस देश में कानून अपने हाथ में लेना खतरनाक बात होगी! इसे रोकना होगा परन्तु इसके साथ साथ मेरी सोच यह भी है कि देश के संविधान में यह प्रावधान होना चाहिए कि गोत्र का सम्मान हो यह एक टेढ़ा हल है जिसे करना बहुत मुश्किल है पर असंभव कतई नहीं है!

No comments: