Tuesday, July 6, 2010


हे ईश्वर मै तेरी सत्ता को नहीं जानती

मुझे नहीं पता की

आप ने मुझे इस मायावी संसार में क्यों भेजा

बार बार आप मुझे कठिन परीक्षाओ में खड़ा करते हो

इसमें भी तुम्हारा ही कोई प्रयोजन है

हे ईश्वर मै कमजोर और लाचार हूँ

मेरे अंदर अब इतना सहस कहा

आप के हर निर्णय को चुनौती दे सकू

हे ईश्वर मै जानती हूँ

मेरी माँ के गर्भ से मेरा अवतरण तुम्हारी मर्जी से हुआ है

हे ईश्वर मै या भी जानती हूँ

मै तुम्हारी सबसे प्यारी बच्ची हूँ

इसी लिये तुम मुझे बार बार

अग्नि परीक्षाओ में खड़ा करके मेरे समर्थ को मापते हो

हे ईश्वर मुझे यहाँ भी पता है

कि आप ने भी मेरे साथ अनगिनत परीक्षाओ को दिया है

हर बार जब जब मै रोई हूँ

आप ने ही मेरे ऑंसू पोछे है

हर बार आप ने ही मुझे सहारा दिया है

हे ईश्वर आप ही तो मेरे प्रभात और संध्या का लेखा रखते हो

आप ही मुझे बुराइयों से बचते है

हर बार जब जब मै अपने राह से भटकी हूँ

आपने मुझे रास्ता दिखाया है

हर बार आप ही मुझे अधरे से रोषनी की तरफ ले कर गये है

हे ईश्वर आप का तो प्रेम बिना शर्तो का है

आप तो अपने हर बच्चे को माफ करते है

प्यार से उसे गले लगते है

आज आप की इस बच्ची कोआप स्नेह की जरुरत है

हे ईश्वर मेरे दोनों हाथ खुले है

आप मुझे अपनी बहो का सहारा देदो

और मुझे अपने गले लगालो

आज बस मुझे आप का संपूर्ण प्रेम चाहीये

क्यों की आप ही जीवनभवसागर से

हमें पार निकाल सकते हो
हे ईश्वर आज मैं अपने जाने अनजाने गुनाहों के माफी माग रही हूँ

आप मुझे मेरे गुनाहों को बक्श दो

मुझे नहीं पता यह गुनाह मैंने क्यों किये

हे ईश्वर आज मै उन सब से माफी मागती हूँ

जिन्हें मैने कोई दर्द दिया मुझे पता है

आज तू मुझे माफ कर

देगा आज मै उन्हें भी माफा कर रही हूँ

जिन्हों ने मुझे दर्द दिया

जिन्हों ने मेरे अस्तित्व पर उॅंगली उठाई

उन्हें माफ करा रही हूँ

जिन्हें याद कर के मेरी ऑंखे रोती है

उन को माफ कर रही हूँ
जिन्हें याद कर के मेरी ऑंखे रोती है उन को माफ कर रही हूँ
जिन्होंने मेरे अस्तित्व पर सवालिया निशान उठया
हे ईश्वर आज मै अपने आप को तुम्हे सौपती हूँ
आज से जो भी मेरे साथ होगा वो सब तेरी मर्जी से ही होगा
आज मै आप का सुक्रिया अदा करती हूँ
आप ने मुझे अपने मेरी हिफाजत
हर मुसीबत में की
आज मै उन सबका सुक्रिया अदा करती हूँ
जिन्होंने मेरी सच्ची बात पर विश्वाश किया
आज मै उनका सुक्रिया अदाकारती हूँ
जिन्होंने हर बार तुम्हारे होने का अहशास
उन सबका सुक्रिया अदाकारती हूँ जिन्होंने मेरे आसुओ को पोछा
ओर मेरी आत्मा को मरने से रोका
आज मै अपने माँ का सुक्रिया अदाकारती हूँ
जिन्होंने मुझे जीवन दिया
आज मै अपने पिता का सुक्रिया अदा करती हूँ
जिन्होंने सच के साथ जीने की पेरणा दी
आज मै जैदी सर का सुक्रिया अदा करती हूँ जो मेरे हरा सच में मेरे साथ रहे
आज मै मनीषा का सुक्रिया अदाकारती हूँ जिसने मेरासाथ नहीं छोड़ा
आज मै गोयल सर का सुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने मुझे बतया मै अच्छी आत्मा हूँ
आज मै शालनी का सुक्रिया अदा करती हूँ जिसने मेरे सब्द मुझे वापस किया और कहा हम spiritual है हा दुसरो के जैसे नहीं होसकती हम अच्छी है और अच्छी ही रहे गे आज मै उनसबका सुक्रिया अदाकारती हूँ जिन्होंने मुझा अपना समझ मुझे सुविकार किया

3 comments:

अरुणेश मिश्र said...

नारी की वेदना को रचना मे व्यक्त किया गया है ।
प्रारम्भ की तुलना मे अन्त की पंक्तियाँ प्रशंसनीय ।

Amit Kumar Yadav said...

Nice Writing !!

...Already sent invitation for Takla-Jhanki & Yuva Man blog.

Santmat Satsang said...

Awesome