Friday, March 25, 2011

महिलाओ पर बदती हिंसा कौन जिमेदार

नारीत्व का अभिशाप आज भी झेल रही है ! परंपरा रिवाजो निभाने का बोझ केवल नारी के कंधो पर ही डाल दिया गया है ! कभी इसकी बलि जाति, गोत्र , परम्पराओं के नाम पर दी जाती है तो कभी महान बनाने का आडम्बर किया जाता है! आधुनिकता की दौड़ में जहाँ विश्व आगे बढ़ रहा है, वही आज भी हमारा देश जाति, धर्म, सम्प्रदाए के चक्रव्यूह से निकलने में असमर्थ है! सच तो यह है कि इसका स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है आज भी हमारे देश में लड़कियों को खुली हवा में सांस लेने की आज़ादी नहीं है! आज भी गाँव में जाति, गोत्र, परिवार की इज्ज़त के नाम पर होने वाली हत्याओं की बात आती है तो इसमें मरने वालों की संख्याओ में लड़कियो और औरतो की संख्या अधिक होती है !
देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने अप्रैल माह में लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि वर्ष 2006 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा क 164765 मामले दर्ज किये गये। जब कि वर्ष 2007 में 185312 मामले तथा 2008 में 195856 मामले दर्ज किये गये। उन्होने बताया कि वर्ष 2006 में बलात्कार के 19348, वर्ष 2007 में 20737, वर्ष 2008 में 21467 मामले दर्ज किये गये। जब कि अपहरण के वर्ष 2006 में 17414, वर्ष 2007 में 20416, तथा वर्ष 2008 में 22939 मामलें दर्ज हुये और दहेज हत्या के वर्ष 2006 में 7618, वर्ष 2007 में 8093 तथा वर्ष 2008 में 1872 दहेज हत्यायें हुई इसके साथ पतियों तथा रिश्तेदारों द्वारा वर्ष 2006 में हिंसा के 63128, वर्ष 2007 में 75930 वर्ष 2008 में 81344 मामले दर्ज किये गये और छेड़छाड़ के वर्ष 2006 में 36617, वर्ष 2007 में 38734, वर्ष 2008 में 40413 मामले दर्ज हुये और यौन प्र्रताड़ना के क्रमशः वर्ष 2006 में 9966, वर्ष 2007 में 10950, वर्ष में 12214 मामले दर्ज किये गये।
आज प्रश्न यह उठता है की क्या इन सब मामलो में अपराधियों को सजा मिली ?
आजाद भारत के संबिधान में जहाँ भारतीय महिला को तमाम अधिकार प्रदान किये गए है आजाद भारत में दिनोदिन राजनैतिक सामाजिक क्षेत्रो व शिक्षा रोजगार के क्षेत्रो में महिलाओ ने तेजी से विकाश किया और समाज में अपने झंडे गाड़े जिसका सबसे बड़ा उदाहरण इंदिरा गाँधी है !उन्होंने प्रधानमंत्री व कुशल प्रशासक के रूप में विश्व पटल पर अपने अमित छाप से भारतभूमि की शान बढाई वर्तमान समय में भी राजनैतिक क्षेत्रो में महिला का वर्चस्व कायम किया भारत के सर्वोच पद रास्ट्रपति एक नारी शक्ति के रूप में प्रतिभा पाटिल आसीन है सार्वजनिक व सामाजिक राजनैतिक क्षत्रो में अपने विशेष योगदान के कारण सुभाषिनी अली, किरण बेदी, मेघा पाटेकर का नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है तमाम कानूनी अधिकारों के वावजूद भी आज भारत में आम महिलाओ की स्थिति दयनीय है तथा आज भी महिला अपने अधिकार व सम्मान से विहीन है ग्रामीणों में महिला शिक्षा का प्रचार प्रसार होने के वावजूद आज ग्रामीण महिला अपने अधिकारों से वंचित है देश के तमाम कानूनी अधिकार प्राप्त है इसके वावजूद आम महिलाओ को अपना समय घर की चहारदीवारी में पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए गुजारना पड़ रहा है परिवार व रिस्तो को निभाने वाली आम महिला आज अपने अधिकारों से वंचित है
हम कब सुधरेंगे ? क्या आज भी हम उन्ही दकियानूसी परम्पराओं का निर्वाह करते रहेंगे?आज हमारे देश को आज़ाद हुए इतने साल हो गए पर आज भी ठीक ढंग से लोकतंत्र की स्थापना नही हो पाई है! जानते है क्यों ? क्योंकि हम अभी भी अपनी अपनी जाति का बोझ ढो रहे है ! अपनी परम्पराओं को गलत ना मानकर दूसरों की परम्पराओं पर लांछन लगा रहे है! वास्तव में हमारे देश का जातिवाद का यह स्वरुप पिछले दो तीन हज़ार वर्षो से बिगड़ा है! मै सोचती हूँ कि हमारे देश की वर्तमान राजनीति ही मात्र जिम्मेवार नही है बल्कि हमारे देश के इतिहास को पढेंगे तो पाएंगे कि कुछ राज्यों में कुछ हद तक जातिवाद की भावना थी , पर वो इतनी गहरी और खराब नही थी जितनी की आज है! ऑनर किलिंग के नाम पर मासूमो का खून बहाना बंद होना चाहिए ! खाप के लोगो को समझना होगा की इस देशइ से पहले उन्हें दर होगा में कानून अपने हाथ में लेना खतरनाक बात होगी! इसे रोकना होगा परन्तु इसके साथ साथ मेरी सोच यह भी है कि देश के संविधान में यह प्रावधान होना चाहिए कि गोत्र का सम्मान हो यह एक टेढ़ा हल है जिसे करना बहुत मुश्किल है पर असंभव कतई नहीं है! इस लिए जरुरी है की पहले समाज की सोच बदले तभी अपराधियों के हौसले पस्त होगे और उन्हें भी समाजिक तिरष्कार के अपमान का डर होगा तब किसी भी अपराध को करने से पहले हजार बार सोचेगा साथ ही पुलिस पर भी राजनीतिक दबाव कम हो ताकि वो अपना काम निष्पक्ष रूप में कर सके और अपराधी को सजा दिलाने में अपना सहयोग कर सके | एक बार जब बलात्कार यौन शोषण जैसे मामलों में बड़े लोगो को सजा होने लगेगी और लोगो में कानून का भय हो तो अपराध में कमी आएगी |

1 comment:

chunnu said...

Each and Every incident which is happening in our life. We and only we are responsible for that. Anything which comes in our life anyhow that is created by us.
Each thought works like a concrete between daily Routine. It comes in front of us in the way of INCIDENT.
So, we are responsible for that very incident.
Don't change anybody change yourself.
Always be positive
Kyunki
"Safedi ki safedi samapt karne ke liye ek chutki kalikh ki jaroorat hoti hai par us safedi ko wapas safedi pane ke liye kayee kilo safedi ki jaroorat hoti hai."