Friday, July 1, 2011

औरत की ख़ामोशी

औरत की ख़ामोशी उसकी की सभ्यता का प्रतिक माना जाता है यदि वो अपने पर हुई हर जत्तियो को खमोशी से सहती जाये और गौ बनकर सब कुछ सुनती रही तो ही आज के समाज में एक सभ्य नारी कहलाएगी यदि उसने पुरुष की नजरो से नजरी मिलाने का सहस कर लिया तो उसे एक कुलटा और चरित्र कहने से भी नहीं चुकता !


उसकी नजरो में पत्नी वही बन सकती है जो उसकी हर बात माने और उसके इशारो पर चलती रहे !जो अपने व्यक्तित्व का बलिदान करती रहे जिनकी कोई मर्यादा और शील ना हो ।पुरुष की गुलामी ही उसका सच्चरित्रा का प्रमाण हो, ना ही आत्मनिर्भरता हो और और ना आत्मविश्वास जरा सा पुरुष की हवा लगते ही खराब हो जाने का भय लेकर जिये, नाही स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता हो जीवन के यथार्थ को स्वीकार करने में कोई झिझक भी नहीं है। समाज की रूढयों में फँसकर अपनी सारी बौद्विकता से दूर रहकर समाज के अनुरूप खुद को ढालने के लिए विवश हो ,वही आज भी समाज में नारी के सम्मानित नारी का असली रूप होती है

सच तो यह है की नारी के लिया शिक्षा तो बस मात्र दिखवा है यदि समाज के बंधनों और मर्यादा की परवाह न करके और नहीं अपनी आत्मा और स्वाभिमान की रक्षा करने का सहस करे वरना किया तो यह समाज उसका ही तिरस्कार कर देगा ! जहाँ उनको हमेशा कटघरे मे ना खडे होना पडेगा



मै कोई बुत नहीं 
जो तुम हर दम 
कटघरे  खडा  करदेते हो
मै नहीं निर्जीव 
जिसे  तुम भाव विहीन  समझ
म्रत शय्य पर छोड़ देते हो
मै आत्म हूँ 
जोजग्रत है 
जो जीना चाहती  है 
उड़ना चाहती है 
पर हर बार
 बार बार  
तुम मुझे पिजड़े में
 कैद  करदेते हो

खोल दो मेरे पिजड़े को 
उड़ जाने  दो मुझे आकाश में 
बहुत भोग चुकी मै 
अपने औरत  होने का अभिशाप 
मुझे अब  और शापित ना करो 

4 comments:

inqlaab.com said...
This comment has been removed by the author.
इंकलाब said...

मोहतरमा आप सच कह रही है !पुरुस समाज हमेसा महिलाओ को अपना खरीद गुलाम समझता है जो सारा सर गलत है इसका विरोध होना चाहिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता है की महिलाये बार बार वही गलती दोहराए जिससे उनका जीना दूभर हो जाये ! अगर कोई पुरुस किसे को नसा करने से रोकता है तो महिला कह सकती है की ये उसके अधिकारों का हनन है तो क्या ये सही है ! हमारे ख्याल से नहीं ......बाकि आप खुद बुद्धिमान है.

अग्निमन said...

Yashwant Singh to me
show details 2 Jul (2 days ago)
बढ़िया लिखा आपने. सही लिखा आपने.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

विचारणीय लेख