Wednesday, August 3, 2011

तुम्हारे लिये तो मै
मोम की गुडिया सी थी
जबतक चाहा
मेरी वेदना /मेरी संवेदना से खलते रहे
मेरी भवनों को तोड़ते रहे
रहा रहा कर
मेरे सपनो को धरासाईं रहे
जब तुम्हे एक न्य खिलौना मिला
मुझे इसकदर तोडकर
आग में झोक दिया जैसे
मेरा कोई अस्तित्व न था
संबंधनो के धरातल पर इसे गई
मेरा तुम्हारा कोई नाता ही नहीं हो
कितने खुदगरज थे तुम
अपने खुशियों में
मेरे आसुओ की कोई क़द्र ही नहीं की
आज कहते हो हमने अपना दर्द
सरे आम कर
तुम्हे बदनाम कर दिया
क्या कभी सोचा
कितना जली होगी मेरी रूह
इस दर्द से
तुम मेरे नहीं
तुम किसी और के थे
मै बस तुम्हारे लिया
समय वितित करने का
एक माध्यम थी
कितना दर्द होता है
इस सच को जानना
प्यार का दावा करे वाला
फरेबी निकले
तुम्हे आज अपने
और उसकी फ़िक्र है
जिसके होते हुआ भी
तुम मेरे पास आये
यह भी नासोचा
सच जाना कर
मेरा दिल कितना रोया होगा
पर तुम्हे कब मेरी फ़िक्र थी
तुम हे तो बस
अपनी खुशियों से प्यार था
जब तक तुम्हे मेरी चाहत थी
मुझसे खेलते रहे
जब मन भर गया
किसी और की बाहों में सो गया
आज तुम्हे अपने मन और सम्मान की परवाह है
आज तुहे उसके चाहत से प्यार है
जब वो तुम्हारे थी तो
क्या आये मेरी जमी पर
मै कोई मोम के गुडिया नहीं
जो जलने के लिया छोड़ गए
काश तुम मुझे मार देते
तो अच्छा था
यू रोज तिल तिल के तो हम न मरते
तुम्हारा हर झूठ
मुझे जब याद आता है
मेरे आसुओ का सलब
मुझे खूब रुलाता है
चाहती हूँ भूल जाऊ तुझे
चाहती हु न दू बद्दुआ
पर मेरी आत्मा का दर्द
तुझे दुआ ही नहीं दे पाता
आज दिल यह कहता है
तुझे भी तेरे प्यार का दर्द मिले
तुझे भी पता चले की दर्द क्या होता है
आज जो आसू है मेरी आखो मै है
काश वो तेरी आखो से बहे
तब तुझे पता चले आसुओ का श्य्लब क्या होता है
सच पुछो किसी के जजबातो से खलना भी

खुदा के घर मै गुन्हा होता है
अब तुम मेरे गुनहगार नहीं
उस रब के गुनहगार हो
देखते है क्या तुझे रब माफ़ करता है
या मुझे रुसवा करता है

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