तुम क्या हो मेरे लिये
सच यह प्रश्न मैने बार बार हर बार खुद से पुछ
हर बार प्रश्नों ने हमें नव उत्तर दिया
मन तरंग में छागये
तुम मेरी जिन्दगी का सफर ही नहीं
तुम मेरे जीवन की अद्भुत कहानी हो
जिसे मै बार बार
हर बार नए सिरे से पड़ना चाहती हूँ
खुद को उसकी नायका
बन तुम्हारे साथ चलना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ हर मंजील
ख्वाब सजाना चाहती हूँ
चाहे चांदनी रात हो
यह रेगिस्तान में तपती धुप
तुम्हारे पथ पर चलना चाहती हूँ
जानती हूँ
तुम ही अकेले इस सदी के महा नयक हो
एकदिन जीत लोगे इस जहाँ को
मै तुम्हारे साथ खुद को जितना चाहती हूँ
तुम्हें पता है
नाही अब हमें किसी ताप से भय ,
नाही अब समय के शाप से भ्रम ,
आज मन कहता की तुम्ही अनुराग मेरे हो
आज आत्मा कहती है तुम मेरे लिए हो बस मेरे लिये हो ।
तुम्ही मेरे मान हो तुम्ही मेरे जीवन के पथ साथी
तुम दीया
और मै तुम्हारी बाती
2 comments:
क्या बात
बहुत सुंदर
waha bahut khub
kuch man kii bate....jo man se likhi gayi hai
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