१.
जब किसी रिश्ते को सामाजिक रूप से सुविकर करने में असुविधा हो
तो उसे तोड़ देना ही न्याय संगत होता है
वरना वो रिश्ते बोझ बन जाते है
वरना वो रिश्ते बोझ बन जाते है
२.
इसके कम वासना पर खर्च करना मुर्खतपूर्ण है ,
क्योकि यदि यह खजाना खतम होगया तो
आप के जीवन से मंजू रोशनी खतम होते देर नहीं लगेगी
चाहती हूँ अधखुले केसों को
फिर से लहरने दू
मौन हो जाऊ खुदसे
भूल जाऊ सब बसंत
फिर से नए सुबह तलास लू
उम्मीद के हर शिखर पर बांध दू जीवन का पहर
फिर से लहरने दू
मौन हो जाऊ खुदसे
भूल जाऊ सब बसंत
फिर से नए सुबह तलास लू
उम्मीद के हर शिखर पर बांध दू जीवन का पहर
भूल जाऊ दुनिया के रंजो गम
आने दू अपनी आँखों में खुले असमानों का घेरा
3 comments:
सहमत
बहुत बढिया
बहुत खूब !!
sukriya
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