निशब्द सी खड़ी
ओ वसुंधरा तुम क्यों नहीं बोलती
मौन खड़ी
शब्द क्यों नहो खोलती
आज तेरे द्वार
तेरी जानकी पुकारती
खोल दो ह्रदय
समालो माँ मुझे
अब शब्द बाण
नहीं जा रहा सहा
क्यों मौन हो माँ ??
समां लो मुझा ...
आज झूठ उपहास
करा रहा द्वारा
सत्य रो रहा आज
माँ तुझे पुकार कर
आज
tu rahi नीरव
टूटेगा मेरा विश्वाश
क्या तुझे दया नहीं
नेत्र क्यों नहीं खोलती
आज तेरी जनकी का खोरहा अस्तित्व
एक नारी ही करा रही एक नारी को शापित
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