तेरा क्या मान अपमान
तू काम से भरा
तेरी कैसी शान
तू अभिमानी
तुझे कोई नहीं देगा सम्मान
तू पापी है
निर्लज तुझमे नहीं पवित्र प्राण
तू इस धरा पर बोझा है
अब यह धरा
नहीं सह सकती
तेरा बोझ
अब तू स्वयं झेलेगा सत्य प्रकोप
ओ पापी
तुझे तो आज दंड मिलना ही है
क्यों ki
तुने क्या है
जनक सुता का अपमाना
अब तेरा नाटक खतम हुआ
ओ रावन
आज तेरी मंदोदरी भी
तुझे नहीं बचापाएगी
ओ दुष्ट आज मेरा राम करेगा
तेरा मर्दन
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