जीवन की सारी विवशताये दूर हो
उम्मीदों के पर लगा
मै उड़ने लगती हूँ
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
सपनों की दुनिया से उठ
मै नए सपने के सूरज को
बुनने लगती हूँ
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
मन में विश्वास जागता है
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
तब लगता है
मेरे रेगिस्तानी जीवन से मरुस्थल दूर हो
सावन की फुहार
सच तुम्हारा होना
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
सपनों की दुनिया से उठ
मै नए सपने के सूरज को
बुनने लगती हूँ
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
मन में विश्वास जागता है
अपने होने का अहसास हो
जीवन उम्मीदों के नए सावन संग
जीवन उम्मीदों के नए सावन संग
बेहने लगती हूँ
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
तब लगता है
मेरे रेगिस्तानी जीवन से मरुस्थल दूर हो
सावन की फुहार
पड़ने लगती है
और चातक बन
मै मदमस्त हो झूम उठी हूँ
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
पतझर की तन्हैया दूर हो
इंद्र धनुसी रगों की छटा सजने लगती है
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
मेरे निष्प्राण तन में
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
पतझर की तन्हैया दूर हो
इंद्र धनुसी रगों की छटा सजने लगती है
जब तुम कहते हो मै हूँ ना
मेरे निष्प्राण तन में
फिर से उम्मीदे जगजाती है
और मै आसमानी रंग में सज
और मै आसमानी रंग में सज
आकाश की ऊचायो को छुने लगती हूँ
सच तुम्हारा होना
मेरे निष्प्राण ताना में जीवन डालता है
जो उम्मेदे मैने कबकी छोड़ दी थी
वो एक एक कर जागने लगी है
घुप्त अँधेरे की चदर ने जो मुझे घेरा था
जो उम्मेदे मैने कबकी छोड़ दी थी
वो एक एक कर जागने लगी है
घुप्त अँधेरे की चदर ने जो मुझे घेरा था
वो धीरे धीरे छट गयी
रंगो की नव तरंग बन
रंगो की नव तरंग बन
आज खुद को खो
में मंजिल तन सज
सब भूल तुम्हारी रहो में
चल देती हूँ
1 comment:
kise ko ahsas nahik ki wo qay,kon,aur kaisa hai.
khusiwo se tumhari jholi bhari rahe.
aamen
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