हे ईश्वर
मैने अपनी पराजय सुविकार कर ली
हैइसलिये नहीं की मै कमजोर
हूँइसलिये नहीं की मै ताकतवर हूँ
इसलिये नहीं की मै अकेली
हूँइसलिये नहीं की मै हारी हूँ
बल्कि इसलिये की मुझे रचना है
एक नव इतिहास
मुझे इस समाज को बताना है
नारी नारीत्व का सत्य रूप
हैनारी मंजू प्रकाश है प्रभात है
यह एक सृजन करता है
यही है पेरणा प्रकाश की
कोई भी कपुरुष नहीं विछेदित नहीं
कर सकता मेरे रूप को
नहीं तोड़ सकता मेरे अस्तित्व को
मैने जीवन को दिया है जीवन दान
मैने ही सतीत्व से रचा है यह संसार
मै अभिवक्ति हूँ मतत्व प्रेम की
मे सोम्य हूँ चन्द्रमा के प्रतीक की
मै सत्य हूँ निष्काम की
मै अभिपेरणा हूँ अभिव्यक्ति की
मै अनुराग हूँ अनुराग का
मै समवेदना हूँ अभिप्राय का
2 comments:
सुन्दर रचना, गहरे में जाकर ह्रदय को छूने वाले भाव. शुभकामनाएं!
कम्पोजिंग मे गलतियाँ ठीक करो ।
रचना नारी की अपरिमित शक्ति को व्यक्त करती है ।
Post a Comment