Tuesday, May 31, 2011

हमारा घर





हमारा घर
वो घर जो ईट गारे का नहीं
सपनो का महल है
जिसे प्यार और त्याग के बीजों से हम बोयेगे
खून पसीने से उस के हर बाग़ को सिचेगे

विश्वास और अपनेपन के तानेबाने से

इसके हर कोने को हम सजायेगे

भुलादेगे जीवन के रंजोगम

हम जीवन को इन्द्रधनुसी सजायेगे

नज़ारा हर रोज़ आसमां का करेगे

सूरज की पहले किरण से मुस्कुरा हम
बदलता चाँद की खूबसूरती में नहायेगे
अमावस की रात हो या पूनम का चाँद

हम हरवक्त संग संग मुस्कुरयेगे
राह्के अधेरो को भूल

हम रास्तो पे

हम नए दीपक जलायेगे

जगमगाए गा आसियाना जब मेरा

देखना स्वर्ग के देवता भी जलजायेगे

2 comments:

इंकलाब said...

आप के घर से जादा आप के सपने और विचार अच्छे है !
आप की मनोकामना पूरी हो .........

shalini said...

bahut sunder vichar hai. ghar ka aisa sapna kewal ek ladki hi dekh sakati hai jo apni family ko bahut pyaar karti ho.