हमारा घर
वो घर जो ईट गारे का नहीं
सपनो का महल है
जिसे प्यार और त्याग के बीजों से हम बोयेगे
खून पसीने से उस के हर बाग़ को सिचेगे
विश्वास और अपनेपन के तानेबाने से
इसके हर कोने को हम सजायेगे
भुलादेगे जीवन के रंजोगम
हम जीवन को इन्द्रधनुसी सजायेगे
नज़ारा हर रोज़ आसमां का करेगे
सूरज की पहले किरण से मुस्कुरा हम
बदलता चाँद की खूबसूरती में नहायेगे
अमावस की रात हो या पूनम का चाँद
हम हरवक्त संग संग मुस्कुरयेगे
राह्के अधेरो को भूल
हम रास्तो पे
हम नए दीपक जलायेगे
जगमगाए गा आसियाना जब मेरा
देखना स्वर्ग के देवता भी जलजायेगे
2 comments:
आप के घर से जादा आप के सपने और विचार अच्छे है !
आप की मनोकामना पूरी हो .........
bahut sunder vichar hai. ghar ka aisa sapna kewal ek ladki hi dekh sakati hai jo apni family ko bahut pyaar karti ho.
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